अमलतास
1. वनों का आकर्षण : वनों ने हमेशा मानव कल्पना को क्यों आकर्षित किया है 2. भूमिगत नेटवर्क: माइकोरिज़ल नेटवर्क : कवक वृक्षों की जड़ों के साथ सहजीवी संबंध कैसे बनाते हैं, 3. निष्कर्ष: कार्रवाई का आह्वान : वनों के चमत्कारों और महत्व का सारांश दें। पाठकों को वनों के प्रति अपनी प्रशंसा को गहरा करने और संरक्षण प्रयासों में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित
Friday, 26 October 2018
Friday, 19 October 2018
"मेरी डायरी से"
पहला परेड
आज दिनांक 06/11/2011, मुझे आज का दिन बहुत अच्छा लगा क्योंकि यह दिन मेरे लिए बहुत ही आनंदमय दिन था,चूंकि मेरा इच्छा थी कि में Ncc में join हो जाऊं और मे join हो गया, Ncc परेड ग्राउंड में परेड गाना हम सभी कैडेट " हम सब भारतीय हैं, हम सब भारतीय हैं " मिल कर गाये, इसके कुछ समय बाद हमारे सीनियर सर ने हमें कमांड देते हुए हमें पहली ही बार में हमें ड्रील करना सीखा दिया। अब हम मैदान में दौड़ने लगे, दौड़ का वह दृश्य भी हमारे Ncc टीम में देखने लायक थी।
हमारे सीनियरो के ड्रील कराने के बाद हमारे उस्ताद भी हमें ड्रील सिखाने का प्रयास किया, हमें भी यह करने में बहुत आनंद आ रहा था,क्योंकि यह हमारे शरीर के लिए एक व्यायाम की तरह ही था।
इसके बाद हमें उस्ताद ने Ncc के बारे में बहुत कुछ जानकारी दी, उन्होंने ने बताया कि Ncc की स्थापना 1948 में हुई है ये हमें बताया तथा मैदान के ही स्टेडियम में हम सभी Ncc कैडेट बैठ कर सर के लेक्चर को सुनते हुए मैदान में हो रहे किरकेट फाइनल मैच का मजा भी ले रहे थे। यह हमें अत्यन्त ही रोमांच पैदा करने वाला था, उस्ताद के लेक्चर के बाद Ncc नेशनल केडिट कोर् के गीत के साथ ही परेड की समाप्ति हुई, तथा प्रत्येक Ncc कैडेट को नाश्ता का वितरण किया गया, यह तो और मजे की स्थिति में था, इतने लोगों के साथ बैठ कर नाश्ता या खाना-खा लेना अत्यंत ही आनंदमय था। हमें एक दूसरे के साथ मिल-जुल कर नाश्ते का आनंद उठाया,
नाश्ते के बाद हम अब हाँसटल आ गये। फिर हम सब हम छात्रावासी छात्र मिलकर बड़ी धूमधाम से एकादशी (छोटी दीपावली) मनाइए, यह मुझे अत्यंत ही रोचक लग रहा था, हम सभी चारों ओर से हाँसटल को केनडल से दीपक से सजा दिये थे, यह दृश्य तो देखते ही बनता था। आज हम बहुत खुश लग रहे थे, रात को पूजा के बाद हम सभी छात्रावासी खाना खाने के लिए मैस हाल मैं अाकर हम सभी सब्जि-पुरी, हलवा, रोटी, चावल, मिठाई आदि तरह-तरह के मिसठानो का रसास्वादन हमें हमारे सीनियरो ने अपने हाथों से कराया, तथा हम भी यह कार्य जूनियरो को कराया इस प्रकार हम उन्हें अपने हाथों से खाना खिलाया, खाना खाने के बाद हम उन्हें फटाखे -फुलझड़ी, बम, राकेट आदि आतिशबाजी की ये आतिशबाजी भी देखने लायक था, यह दृश्य भी में कभी नहीं भूल पाऊँगा क्योंकि मैं इतने लोगो के साथ दीपावली का परव मनाया यह मेंरे लिए रोमांचक था, और हर्षोल्लास से भरा था।
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ICFRE- Tropical Forest Research Institute (TFRI), Jabalpur
Tropical Forest Research Institute (TFRI), Jabalpur is one of the eight regional institutes under the Indian Council of Forestry Research ...
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