Tuesday, 14 April 2020

"कैसे कहूँ"

कैसे कहूँ, कि आज मैं बहुत खुश हूं,
धरती से लेकर अमबर तक सब हरे-भरे खुश हैं।
कैसे कहूँ....

धरती मैं आज चारों ओर खुशहाली हैं
कैसे कहूँ, धरती मैं हरियाली हैं।
कैसे कहूँ....

कैसे कहूँ, कि मेरा तन-मन डोलने वाला है,
तुम्हें पता भी है कि तुम्हारे प्रकृति के दुर्व्यवहार से मेरा तन
डोल रहा हैं कैसे कहूँ.....

कैसे कहूँ,कि आज मुझे दुख हो रहा है, जब तुम काटते हो
हरे-भरे पेड़ों को तो मेरा लहू निकलता है।
कैसे कहूँ......

कैसे कहूँ, कि मुझे गर्म महसूस हो रहा है, जैसे में रखा हूँ
गरम तवे में वैसा महसूस हो रहा है, कैसे कहूँ कि मुझे गरम महसूस हो रहा है।

कैसे कहूँ, कि मुझे अहसास न हो पाया, जब तुमने मुझे
बहुत दुख पहुंचाया, कैसे कहूँ, कैसे कहूँ।
कैसे कहूँ.....

कैसे कहूँ, कि जब तुम मुझ पर जब तांडव कर वन संपदा को नष्ट करते हों तो, मेरा खून खौलता है।
कैसे कहूँ.....

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