Saturday, 21 April 2018

सद्भावना

                                                               
                              ``सदभावना ``


१. प्रस्तावना:- पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय श्री राजीव गांधी जी के जन्म दिवस के अवसर पर २० अगस्त से ३ सितम्बर तक उनकी ७३वा वर्ष गाठ पर पुरे भारत में साम्प्रदायिक सद्भावना पखवाड़ा मनाया जा रहा है
                                  सत+ भावना = सद्भावना
२. सद्भावना दिवस :- भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के वर्षगाठ को याद करने के लिए सद्भावना(दुसरो के लिए अच्छे विचार रखना ) या समरसता दिवस मनाया जाता है , राजीव गांधी सरकार का एकमात्र मिशन दुसरो के लिए अच्छी भावना रखना था , भारत के सभी धर्मो के बीच सामुदायिक समरसता , राष्ट्रीय एकता ,सन्ति ,प्यार और लगाव को लोगो में बढ़ावा देने के लिए इसे हर साल २० अगस्त को कांग्रेस पार्टी द्वारा केक काटकर मनाया जाता है।

३. सद्भावना दिवस प्रतिज्ञा :-  में प्रतिज्ञा करता /करती हूँ कि में जाति ,संप्रदाय ,छेत्र , धर्म  अथवा भासा का भेदभाव किये बिना सभी भारत वासियो की भावनात्मक एकता और सद्भावना के लिए कार्य करूँगा /करुँगी ,में पुनः प्रतिज्ञा करता /करती हु कि में हिंसा का सहारा लिए   बिना सभी प्रकार के मतभेद बातचीत और सवैधानिक माध्यमों से सुलझाऊंगा /सुलझाउंगी।

४. सद्भावना दिवस समारोह :-  इस दिन पर देश के अलग -अलग राज्यों में कई प्रकार के सांस्क्रतिक कार्यक्रम और प्रतियोगिता राखी जाती है इस दिन पर लोग पौधे लगा कर , हरियाली को संरक्षित करके प्राकतिक सुंदरता को बचाकर पर्यावरण की सुरक्षा करके साथ ही प्राकतिक संसाधनों की रक्षा कर के मानते है , महत्वपूर्ण पर्यावरण मुदो के बारे में लोगो को जागरूक करने के लिए इसको पूरी तरह खुसी के साथ  मनाया जाता है ,
 फूलो पुष्पमाला से राजीव गांधी की प्रतिमा को सजाया जाता है इसके सात ही भारत में पारिवारिक सदस्यों और करीबी सहभागी ,मित्र ,राजनैतिक नेता और कांग्रेस द्वारा सद्भावना दिवस को मनाया जाता है ,राजीव गांधी के वीर भूमि स्मारक  को लोगो द्वारा सम्मान दिया जाता है वीरभूमि (दाह संस्कार की जगह ) पर पुष्प माला के द्वारा राजीव गांधी की प्रतिमा को श्रद्धांजलि दी जाती है राष्ट्रीय प्रगति के उन्मूलन उनके जूनून को पूरा करने के लिए ये दिन मनाया जाता है ,उनके ६९ वे जन्म दिवस पर लोकनाथ महारथी के नेतृत्व में भुवनेस्वर में एक सद्भवना साईकिल रैली का आयोजन किया गया था।


५. सद्भावना दिवस का महत्व :-  राजीव गांधी याद  साल सद्भावना दिवस मनाया जाता है , जिन्होंने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का सपना देखा था, उनके देश के लिए किये गए कई सामाजिक और आर्थिक कार्यो के द्वारा भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के दृस्टि को साफतौर पर देखा जा सकता है , उनके सालगिरह पर देश के विकास के लिए   भासणो के उत्साहकत और प्रेणादायक सब्द हमेशा याद किये जाते है ,उनके कहे  शब्द बहुत ही प्रेणादायक थे जो आज   युवाओ को भारत का नेतृत्व  करने  प्रेरित करते है।
                                                                                                                   `` भारत एक पुराना देश ,  एक जवां राष्ट्र है , जैसा की हर जगह युवा की तरह , हम आतुर है में जवान हु और मेने  सपना देखा है जो शक्तिसाली हो ,स्वतंत्र हो आत्मनिर्भर हो और मानव की सेवा में दुनिया के सभी रास्त्रो में अग्रणी हो।

६ महान विभूति :-    राजीव गांधी महान और दूरदर्शी नेता थे , और उनकी सोच से ही आज भारत ने सूचना और प्रोद्योगकिय के क्षेत्र में अपनी विशेष पहचान स्थापित की है , समाज और देश की एकता और अखंडता के लिए जीवन के अंतिम क्षणों तक प्रासरत रहे , स्वर्गीय राजीव गांधी ने ही ग्रामीण विकाश के लिए पंचायती राज संस्थाओ को अधिक अधिकार दिया प्रदान किया करके सत्ता के विकेन्द्रीकरण की सोच को आगे बढ़ाया था , इस अवसर पर उन्होंने कहा की आपसी भेदभाव को भूलाकर और जात -पात  , धर्म तथा क्षेत्रवाद की भावनाओ से ऊपर उठकर सभी नागरिक देश को विश्व की महान सक्ती बनाने के लिए प्रयाश करे।
 दूध की नदिया भले ही न बहे फिर से सवर्ण महलो में भले हम न रहे फिर से पर कोई भूका न हो न ही उदाश हो हे प्रभु मेरे वतन में दुबारा हो सन्ति हो
बुद्धि दे  इतनी असत -सत ,जान जाये हम और बल इतना की शोसित हो न पाए हम प्राण से बढ़कर हमे कर्तव्य प्यारा हो हे प्रभु मेरे वतन में यह दुबारा हो सन्ति हो सन्ति हो सद्भवना हो भाई चारा हो

७. राजीव गांधी राष्ट्रीय सद्भावना पुरुस्कार प्राप्तकर्ता :-  विभिन्न क्षेत्रो में प्रतियोगिता द्वारा प्राप्त प्रतिस्टा को जानने के लिए राजीव गांधी संस्था द्वारा इस दिन पर राजीव गांधी राष्ट्रीय पुरुस्कार वितरित किया जाता है इसका आयोजन भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस अधिववेसन करता है , इसकी शुरुआत - १९९२  से प्रारम्भ किया गया था , जिसमे नगद ५ लाख रूपये प्रदान किये जाते है , जो पुरुष्कार प्राप्त कर्ता इस प्रकार है ,
१. मदर टेरेसा
२. सुनील दत्त -अभिनेता -१९९८
३. लता मंगेशकर -गायिका -१९९६
४. जगन नाथ कॉल -सामाजिक -१९९५
६. अमजद अली खान - संगीतकार -२०१३
७. मौलाना वाहिद खान -२०१०
८. कपिला वात्सायन -२०००
९. निर्मला देश पांडये -२००६ स. न. सुब्बाराव -२००३
१०. स्वामी अग्निवेश -२००४
११. न. राधाक्रष्णन -सामजिक-२००८
१२. डी. र. मेहता -विकलांग -२०१२
१३. हेमदत्ता -सामजिक-२००७
१४. मुजफर अली -फ़िल्मकार -२०१४
१५. गौतम भाई -सामाजिक -२००९
१६. सिपाक मेके -संगीतकार -२०११
१७. उस्ताद बिस्मिल्लाह खा
१८. क.र. नारायण
१९. दिलीप कुमार
२०. मुहम्मद यूनस
२१.सुबह मुगदेल -२०१६

८. सत्संगति प्रभाव :- कुसंगति का मानव जीवन पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है , कुसंगति से सदा हानि ही होती है , मनुष्य कितना ही सतर्क और सावधान रहे कुसंगति काजल की कोठरी के सामान है , सत्संग के अनेक साधन है , सभी धर्मो की पुस्तके सत्संग पर बल देती है , सत्संग ही कल्याण मार्ग है ,अतः सभी सत्संग मार्ग पर चलना चाहिए।

९.  उपसंहार :-  मनुष्य एक सामाजिक प्राणी है समाज का प्रभाव व्यक्ति परे पड़े बिना नहीं रह सकता , समाज में सदाचारी और दुराचारी दोनों प्रकार के लोग रहते है दोनों का प्रभाव समाज पर पड़ता है ,
                                                                                                                                     सत्संग दो शब्दो से मिलाकर बना है , सत +संग का अर्थ है अच्छा और संग कहते है, साथ को अर्थात अच्छे अच्छे लोगो का सात करना है सत्संग मानव जीवन के लिए अनिवार्य है यह वह साबुन है जो मानव के मन के मेल को धोकर शुद्ध बनाता है सत , सत्य को भी कहा जाता है सत्य सदा निरमल होता है जिस प्रकार तन की शुद्धि जल से होती है।  उसी प्रकार मन की शुद्धि सत्य से होती है सत्संग से सदाचार , धर्म भावना , कर्तव्यनिस्टा और सद्भावना आदि गुणों का उदय होता है। सत्संग से आत्मा पुस्ट और पवित्र होती है सत्संग करने वाला व्यक्ति मन वचन और कर्म से एक जैसा व्यवहार करता है उसकी कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होता है, ससंग की महिमा सभी संतो ने गैहै मन की स्वच्छता बिना सत्संग के नहीं आ सकती , अतः मनुष्य को हमेशा अपने सद्व्यवहार और सद्भवना को जीवंत परियन्त तक हमेशा अपनाये।  ऐसी में ही देश का और पुरे विश्व का कल्याण है जो हमेशा वासुदेव कुटुम्कम की भावना से सद्भावना से जीये।








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