http://envfor.nic.in/sites/default/files/cc/india_unfccc.htm
``Climate Change``
Global surface ( Temperature Trend )
Ocean Heat
The Greenhouse effect
`` जलवायु परिवर्तन का पर्यावरण पर प्रभाव ``
जीवन और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक है
जलवायु परिवर्तन के पर्यावरण प्रभाव पर प्रभाव
. मौसम में परिवर्तन -कम बारिश होना
. खेती -मिटटी पर प्रभाव , फसलों की उत्पादकता कम हो जाना
. पशुओं पर प्रभाव
. समुद्र के स्तर में वृदि होना , बांग्लादेश , मुंबई
. मानव स्वास्थ ,रोगो का बढ़ाना
.जलसंसाधन पर प्रभाव
. वन और वन्य जीवो पर प्रभाव
. ग्लोबल स्तर में गर्मी का बढ़ना
. समुद्र में गर्मी / समुद्रीय जीव पर प्रभाव
. सुनामी का असमय आना
. पारिस्थितिकी तंत्र पर प्रभाव
. राइजिंग से लेवल -In November 2004 an Interuation team of 300 scientists from is countries including the United staes issused a report on the impact of climate change in the arctic
जलवायु परिवर्तन के कारण
. गर्रेन हाउस गैस - Co2 , CH4 , N2O , HFcs , PFcs , SF6
. औद्योगिक एवं समाज का विस्तार
. मानव की गतिविधिया
. शीतलक उपकरणों का उपयोग
(a) एयर कंडीसन
(b) रेफ्रिजेटर
(c) ओवन
(d) रसायन
. विस्फोटक सामग्री का उपयोग
१. बम
२. फटाखे
३. मिसाइल
४. रॉकेट
. महादवपीये बहाव
. ज्वालामुखी विस्फोट
. पृथवी का झुकाव
. समुद्र की लहरे
. प्राकतिक संसाधनों का उपयोग चार गुना करना
. प्राझेपन कार्यकम मिसाइल
जलवायु परिवर्तन रोकने के उपाय
. राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर कार्य करना
.UNFCCC जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेशन पर जोर देना व् सही समुचित सूत्र बनाना
. सोलर पेनलो का उपयोग करना
. जलसंसाधन का समुचित उपयोग
. सुनिश्चित कृषि कार्य प्रणाली
. राष्ट्रीय स्तर पर ग्रीन मिशन
. साफ ऊर्जा का उपयोग करना
. पारिस्थितिकी तंत्र का ख्याल रखना
. वाहनों और औद्योगिक इकाइयों की चिमनी के धुएं के प्रभाव को कम कर रोकना
. अपशिस्ट का पुनर्नवीनीकरण करना
. पेड़ो को काटने से रोकना , आग , संरक्षण
. जीवाश्म ईधन का कम उपयोग
. पवन ऊर्जा , सोर ऊर्जा , जल उपयोग करना
शुद्ध पानी , पृथ्वी व् हवा हमारे स्वस्थ जीवन की प्राथमिकता है। सोर ऊर्जा , पेड़ लगाना , जलविधुत पुनर्नवीनीकरण करना |
पर्यावरण पर प्रभाव
जलवायु और पर्यावरण एक दूसरे के पूरक है , जलवायु परिवर्तन २१ वी सदी के सबसे बड़े खतरे के रूप में उभरा है यह खतरा तीसरे विश्व युद्ध या पृथ्वी के साथ किसी भी छुद्रग्रह की टककर से बड़ा माना जाता है ग्लोबल वार्मिंग की घटना के कारन जलवायु परिवर्तन से पृथ्वी के तापमान में वृद्धि होती है जिसके परिणामस्वरुप जलवायु चक्र में अनिमियतता और अशांति उत्पन्न होती है पिछले १५०-२०० वर्षो में जलवायु परिवर्तन इतना तेजी से हुआ है की दुनिया के वनस्पतियो और जीवो को इस बदलाव के साथ सामंजस्य बैठना मुश्किल हो रहा है
जलवायु परिवर्तन क्या है
जलवायु एक छेत्र की मौसम की स्थति है , वैश्विक या छेत्रिये जलवायु पैटर्न , हवा का दबाव , हवा , बारिश अदि में बदलाव कुछ ऐसी चीज है जो जलवायु परिवर्तन का कारन बनती है जलवायु परिवर्तन २० वी शताब्दी के मध्य से अंत तक स्पस्ट जलवायु चक्र में अभूत्पूर्वा बदलाव का उल्लेख है जलवायु परिवर्तन औसत मौसमी स्थितियों के पैटर्न में एक ऐतिहासिक परिवर्तन है , आमतौर पर इन परिवर्तनों का अध्ययन पृथ्वी के इतिहास को लम्बी अवधि में विभाजित करके किया जाता है जलवायु की स्थितयो में यह परिवर्तन प्राकतिक और मानव गतिविधियों का परिणम भी हो सकता है।
निष्कर्ष :- दुनिया में जलवायु परिवर्तन की समस्या की वजह से खतरे बढ़ रहे है अंटार्कटिक , ग्लेडिंग , ग्लेशियरों में पिघलने वाली बर्फ , गंभीर तुभानो का प्रवाह हमें बता रहे है। की हम मौसम परिवर्तन के चरण से गुजर रहे है ध्यान देने का मुदा यह है की इसके प्रभाव न केवल तटीय छेत्रो को प्रभावित करेंगे बल्कि ऐसा हर जगह होगा , यह माना जाता है की इस वजह से नमी उसंकटिबंधिये रेगिस्तान में वृद्धि होगी मैदानी इलाकों में गर्मी नहीं होगी इसके कारन विभिन्न प्रकार के घातक रोग उत्पन्न होंगे।
पृथ्वी सायद ब्रह्माण्ड का एकमात्र ग्रह है जहा जीवन उत्पन्न हुआ है लेकिन अत्यधिक प्रदूषण उत्सर्जन और प्राकतिक संसाधनों के दोहन से के कारन यह अस्तित्व का एक आसन्न संकट का सामना कर रहा है ऐसी स्थति में पूरी दुनिया मानव जीवन और प्राकतिक संसाधनों को बचने के लिए पर्यावरण संरक्छन पर विचार कर रही हमें यह ध्यान रखना होगा।, की हम प्राकतिक को इतना नाराज नहीं करे की वह हमारे अस्तित्व को ख़त्म करने के लिए मजबूत हो जाये , हमें उसका सम्मान और उसका ख्याल रखना चाहिए तभी वह हमारी देखभाल करेंगी।
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