Friday, 1 May 2020

सेकेंडीयर ( दितीय वरष ) छात्रावास

सेकेंडीयर ( दितीय वरष ) छात्रावास
छात्रावास मै रहना सौभागय की बात है, कयोकि यहॉ रहना व रह कर पढ़ाई करना एक कैमप की तरह ही है , जिस प्रकार हमें उसमें कुछ नियम व कानून की जानकारी प्रापत होती है, उसी प्रकार छात्रावास में भी हमें कुछ प्रापत होता है| अत: हमें यहॉ रह कर पूरी दुनिया की दुनिया दारी की जानकारी प्रापत हो जाती है , इसी के साथ ही जीवन जीने की प्रक्रिया का प्रारूप प्रापत हो जाता है| जिस प्रकार आरूणि ने अपने गुरूओ के पास आश्रम (छात्रावास) में रहकर विधया अधययन किया और एक महान वयकित के रूप में विखयात हुआ, अत: हमें हमारे सीनियरों से कुछ सहायता प्रापत होती है, इसी के कारण हम कुछ कर पाते है| व हमारे मारग दरशक होने में सबसे महतवपूरण भूमिका अदा करतें है| 
इसलिए छात्रावास में रहना चाहिए , छात्रावास में कोई गरीब, तो कोई अमीर , तो कोई दिवयांग छात्रावास में आते है, सभी प्रकार के लोग रहतें है| उनके साथ मिलजुल कर रहना व खाना - पीना उठना व पढ़ाई करना कितना अचछा लगता है, और कौन बोलता है ? कि छात्रावास में पढ़ाई नही होती है, यहाँ तो पढ़ाई के साथ- साथ छात्रों को मानसिक विकास होता है , जेसे मेरा हुआ, मै कभी डायरी नही लिखता था , लेकिन यहाँ के मेरे सीनियर सर लोगों की प्रेरणा से में डायरी लिखना सीख गया , धनयवाद ! छात्रावासी सीनियर सर को

छात्रावास की यह सोंधी- सोंधी , खटटा- मीठा का यह अहसास तब होता है ,जब हम सब बाहर इस छात्रावास को छोड़कर जाने लगतें है, यह अहसास मेने अपने सीनियर सर में देखा, तब मुझे यह अहसास हुआ कि कितना मीठा आनंद के पल होता है, कोई दूसरे सटेट् से आता है , तो कोई छोटे से गॉव से ,तो कोई बडे शहर से सब लोग जब एक साथ मिलतें है, तो एक नये विचार का उदगम् होता है, अत: हमें छात्रावास में रहने की प्रेरणा सभी छात्र को देनी चाहिए , हमारे छात्रावास में बडे़ भाई हमें अपनें घर की याद का अहसास तक होने नही देंते है, कयोकि यहॉ सभी का पयार व सनेह मिलता है, इतना ही नही बलिक यहॉ पर जिस प्रकार हम घरों में तयौहार मनातें है , उससे से अचछा हम यहॉ मनातें है, इनही तयौहारो में हम मिलजुल कर मनाते है, इनही तयौहारो में से एक है , Hostel Day 24/02/2011 
हम इस दिन की तैयारी के लिए बड़ी जोर-तोड़ से तैयारी करतें है, जिससे हमें कुछ कारयक्रम भी प्रसतुत करना रहता है, इस प्रकार हम सभी कॉलेज के प्रोफेसर , प्राचारया , करमचारी और हमारे सभी मित्रों को भी आमंत्रित करतें है, वह दिन कितना सुनदर लगता है, मै अपने कलमों से भी नही लिख सकता हूँ| 
इस प्रकार हम सभी तयौहार बड़े ही उललास सें मनाते है, जिनमें इकादशी भी है हम सब लोग मिलकर बड़ी धूम-धाम से मनाते है, मिठाई- फटाखे फोड़ते है, कितना सुदंर लगता है, व हॉसटल के दवार पर चारो ओर केंडिल लाईट जलातें है| 
एक दूसरें को प्रेम बॉटते हुए हम सब कितना खुश रहते है, यह सब भगवान देखता होगा कि हम कितना घुलमिल रहते है, व खाने में सभी प्रकार के कुछ मिठाई जितना हमारें बेच मे हो सके वो तैयारी , भरपूर करने की कोशिश करते है , खाने में विभिनन प्रकार की सामग्री बनवाते है, जिससे उस दिन और आनंद व मनोरमय दिन बन जाए, व हम उन दिनो को कभी भूल न पाए अतः जीवन में जीना है , तो खुल के जीवों व जीने दो ,इस दुनिया में पयार सें बड़कर और कोई चीज है ही नही है , अतः पयार दोगे तो सममान व पयार पयोगें अतः सभी सममान पूरवक रहे तथा पयार व सनेह बॉटे यही मेरी मनोकामना है , भगवान से और हॉसटल लाईफ जीने की कामना जरूर करे ,यह जीवन का अदभुत मंत्र है, कुछ पाना है, तो कुछ तो खोना पड़ता है, अतः हमें अपने कैरियर के प्रति तयाग करना जरूरी है| 

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